बोलती खामोशियाँ हैं , उम्र की मदहोशियाँ हैं , मिलती नहीं अब तो कहीं, खो गई सरगोशियाँ हैं..
बोलती खामोशियों से कुछ लोग, कुछ ना कह कर सब कह जाते हैं..
अक्षिणी
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