सोमवार, 6 अगस्त 2018

बोलती खामोशियाँ..

बोलती खामोशियाँ हैं ,
उम्र की मदहोशियाँ हैं ,
मिलती नहीं अब तो कहीं,
खो गई सरगोशियाँ हैं..

बोलती खामोशियों से कुछ लोग,
कुछ ना कह कर सब कह जाते हैं..

अक्षिणी

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