जागो और भागो, सो कर किसने कुछ पाया है.. धूप को जिसने अपनाया, साथ उसी के चलती छाया है..
शमशीर उठाओ, कर्मयुद्ध का घोष है आया.. जयगीत उसी के बनते आए, वक्त से जो लड़ता आया है..
अक्षिणी
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