बस यही सोच कर दस्तक नहीं देते तेरे दर कहीं तू ये न कह दे कल ही तो मिले थे.. शिकवा तुझ से नहीं, तेरी नज़दीकियों से है.. तुझ तक पहूँचें और सफर वहीं थम न जाए..
अक्षिणी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें