मंगलवार, 4 अप्रैल 2017

मैं..

पानी सी हर रूप रंग में ढल जाऊं,
बस राह मैं अपनी  कर जाऊं.

ताब-दाब सब सह जाऊं,
बस मस्त पवन सी लहराऊं.

धूप-घाम संग रह जाऊं,
मैं नील गगन सी गहराऊं.

धरती बन सब सह जाऊं,
अपनी धुरी पर चलती जाऊं.

जलती जाऊं तपती जाऊं,
अग्नि सी मैं निखरी जाऊं..

अक्षिणी भटनागर

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