तू समंदर है तो मेरी कश्ती को डुबो दे या रब, तू सितमगर है तो मेरी हस्ती को मिटा दे यारब. जो हमसफर है तो ज़रा देर मेरे साथ भी चल, वरना 'इंतिहा' सारी बस्ती को जला दे या रब.
अक्षिणी भटनागर
बहुत खूब
बहुत खूब
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