फिर वही मुश्किल है सरे शाम,
तेरी याद चली आई..
हुई कातिल है ये महफिल तमाम,
तेरी याद चली आई..
तुम न समझोगे मेरे अहसास,
तेरी याद चली आई..
कैसे उतरेगा ये वहशी तुफान,
तेरी याद चली आई..
फिर से जागे हैं वही अरमान
तेरी याद चली आई..
कैसे भूलेंगे ये तेरा अहसान,
तेरी याद चली आई..
कितनी महँगी थी वो पहचान,
तेरी याद चली आई..
बिखरे बिखरे हैं मेरे जज्बात,
तेरी याद चली आई..
अक्षिणी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें