बीत गए हैं बहत्तर साल..
फिर भी
नहीं बिछा पाए हम कानून का जाल
नहीं बना पाए कोई शिकंजा
जो फोड़ सके इन भेड़ियों का भाल
आखिर कब तक
सहते रहेंगे
इन जानवरों के व्यभिचार?
है कोई जवाब?
उठो..
मोमबत्तियों से कुछ नहीं होगा
उठानी होगी अब मशाल
और फूँकने होंगे
ये नरपिशाच..
अक्षिणी
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