शुक्रवार, 1 नवंबर 2019

क्यूं करनी हैं ..

क्यूँ करनी हैं 
शहतूतों के दौर की बातें
पेड़ों पर उन
फूलों के बोर की बातें
जीवन के 
भूले बिछड़े छोर की बातें
रिश्तों में 
अटके मन के मोह की बातें
शर्तों में 
भटके नेहों के छोह की बातें
क्यूं करनी है
शहतूतों के दौर की बातें
दरियाओं पर
मस्तूलों के जोर की बातें
क्यूँ करनी है..

अक्षिणी 

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