शनिवार, 22 सितंबर 2018

वज़ूद..

साथ वज़ूद हो न हो उसका
कुरबत ज़रूरी है ऐ ज़िंदगी,
कहने को दिखता नहीं ख़ुदाया,
साँस साधे है अहसास-ए-बंदगी..

अक्षिणी

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