गुरुवार, 13 सितंबर 2018

मेरा होना..

कहने को ऐ ज़िंदगी ,
तू बड़ी हसीन है..
वाकई मेरे वज़ूद का,
ज़ुर्म बड़ा संगीन है..
परखती है मुझे,
हर निगाह हरदम..
फहरा देती है मेरी,
कमज़र्फी का परचम..
होने को तो मेरा होना
माने नहीं रखता..
हाँ मेरे होने पे,
सवाल लाज़मी है..
और ज़िंदा रहने पे,
बवाल लाज़मी है..

अक्षिणी

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