कोई रोको ना
नमकहरामों को
इन्हें गाने दो गीत गद्दारों के
ये फलते आए नमकहरामी से
कोई रोको ना
अरुंधती राॅय को
ये कहती आई बात हत्यारों की
कोई रोको ना
इन खबरचियों को
ये लिखते आए गीत नक्सल के
ये बिकते आए हाथ दुश्मन के
पालो
पोसो
आस्तीन के साँपों को
और कटने दो इसे
देश तो गरीब की गाय है.
अक्षिणी
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