गुरुवार, 6 सितंबर 2018

फिर नई इक मशाल जला..

ले विश्वास तू साथ सदा,
फिर नई इक मशाल जला..

जो चल पड़े तो जीत है,
जो रुक गए तो हार है..
जो बढ़ चले वो वीर हैं..
जो चुक गए, बेकार हैं..

रणछोड़ नहीं,रणजीत है तू,
जंजीर छुड़ा,शमशीर उठा..
फिर नई इक मशाल जला..

जो कर्म तेरे साथ है,
तो साथ तेरे नाथ है..
सो कर्म को प्रधान कर,
लक्ष्य को प्रयाण कर..

फिर नई ललकार जगा,
फिर नया यलगार उठा..
फिर नई इक मशाल जला..

अक्षिणी

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