उन्मुक्त हो तुम,मनमुग्ध हो, खुशियों भरा हर स्वर तेरा हो. नारी हो तुम, जी लो जी भर, खिलता महका हर दिन तेरा हो.
अक्षिणी भटनागर
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें