लौटा दो वो मुस्कानें
जो छीनी तुमने देवी कहकह
जीने दो मुझे मानवी बन कर
रहने दो अब पूजन अर्चन.
मन चाहे अब नेह का आँचल,
खुलने दो सब मान के बंधन.
देवी है ना महारानी ये,
रहने दो अब ये सम्बोधन.
जीने दो मुझे मिट्टी बन कर,
नहीं चाहती मैं ऊँचे आसन.
उड़ने दो अब पाखी बनकर,
रहने दो अब झूठे चंदन.
जी सकती हूँ अपने बल पर,
रहने दो अब जन्मों के बंधन.
है मान मुझे अब अपने पर,
रहने दो ये रिश्तों के बंधन.
अक्षिणी भटनागर
Very true
जवाब देंहटाएंसुन्दर।
जवाब देंहटाएंसुन्दर शब्द रचना
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