शनिवार, 25 मार्च 2017

नज्म-ए-खाट..

खाट लाट की हो या भाट की,
बस होनी चाहिए पूरे पाट की.

खाट लोहे की हो या काठ की,
होती है गवाह खूब ठाठ-बाट की.

खाट पै होती चर्चा लाट की,
जनता की और राज पाट की.

खाट लेटी हो तो खर्राट की,
खाट खड़ी हो तो खुर्राट की.

खाट की बात बाट-बाट की,
खाट की जात घाट-घाट की.

बहुत हो गई बात खाट की,
इब खाट सर पै ले नाट गी..

अक्षिणी भटनागर

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