मृगतृष्णा सा मेरा जीवन, ढूंढे तुझको मेरे भगवन्.
मोह माया के छूटे कंगन, तेरी शरण सब मेरे भगवन्.
ये जन्मों के झूठे बंधन, तुझ से जुड़े अब मेरे भगवन्.
अक्षिणी भटनागर
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