दृश्य एक नया लिख रहे हो तुम,
सर्जना से मुग्ध, दिख रहे हो तुम..
चित्रपट पे नव,नयी तूलिका लिए
स्वगीत पर स्वयं, नृत्य मग्न तुम..
युद्ध एक नया, रच रहे हो क्यूँ?
ध्वंस की ध्वजा,बट रहे हो क्यूँ?
धर्म यज्ञ नव, कर रहे हो तुम,
सर्व त्रास यों, हर रहे हो तुम..
वृष्टि वह्नि व्योम, वायु पृथ्वी भौम,
क्षीर या कि सोम,मथ रहे हो क्यूँ?
त्राहि चारों ओर, सृष्टि कर के मौन,
रास कौनसा नया, रच रहे हो तुम?
~अक्षिणी
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