कौन सुनता है..
सभ्यताओं के आर्तनाद
अपनी विवशताओं के चलते
युग-युगान्तरों में
सबसे तीक्ष्ण,
सबसे दीर्घ,
सबसे मुखर
हुआ करते हैं..
और इतिहास साक्षी है,
कि सभ्यताएँ
अपने अपनों के
विश्वासघातों से ही
धूलि-धुसरित होती हैं..
~अक्षिणी
@Samridhi85 कविताखोर की प्रेरणा से..
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