सोमवार, 15 मार्च 2021

कौन सुनता है..


कौन सुनता है..
सभ्यताओं के आर्तनाद
अपनी विवशताओं के चलते
युग-युगान्तरों में 
सबसे तीक्ष्ण,
सबसे दीर्घ, 
सबसे मुखर
हुआ करते हैं..

और इतिहास साक्षी है,
कि सभ्यताएँ 
अपने अपनों के
विश्वासघातों से ही
धूलि-धुसरित होती हैं..

~अक्षिणी 
@Samridhi85 कविताखोर की प्रेरणा से..

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें