ओस सी धुली-धुली,दूध सी घुली-घुली सी है
बर्फ सी सिली-मिली,फूल सी खिली-खिली सी है
मेरे संग रोती-हँसती,मुझ सी वो बतियाती है
आँसू के अमृत बरसाती, यादों में जीती जाती है
गुँजन-गुँजन गाती जाती,शिंजन-शिंजन खनकाती है
पल-पल तोला,रत्ती माशा,छन-छन रूठी-मनती आशा..
निर्मल निश्छल निर्झर सी,भोली-भाली भली सी है
मेरी कविता सीधी-सच्ची मेरे मन की एक नदी सी है..
~अक्षिणी
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