शिकंजी उदयपुरी..
सोमवार, 1 मार्च 2021
थाम लो..
थाम लो तनिक,ये स्नेहमयी दृष्टि..
ध्यान की तरह..
निर्निमेष अपलक खींचती मुझे..
प्राण की तरह..
बाँच लो कभी,हो मुखर पुनः
जी उठे जिया..
संग हम तेरे,उड़ चले कहीं,
स्वप्न की तरह..
🙏
अनुवाद ..
@chandanas
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