शिकंजी उदयपुरी..
मंगलवार, 4 दिसंबर 2018
भुलाते कैसे..
कुछ वो कह गए..कुछ ज़माना..
झूठा सही अपना फसाना..
हम भुलाते भी कैसे..?
अक्षिणी
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