शुक्रवार, 28 दिसंबर 2018

देखा है..

देखा है चेहरों को रंग बदलते हुए
लहरों को संमदर पे मचलते हुए
देखा है किसी आँख से आँसू ढलकते हुए
किसी साँस को उठते, गिरते सँभलते हुए
देखा है लोगों को जमाने के ढंग में ढलते हुए
खरबूजे के साथ खरबूजे को रंग बदलते हुए
देखा है किसी चेहरे का नूर पिघलते हुए
देखा फिर आज उसे पहलू बदलते हुए

अक्षिणी

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