नारी तुम केवल श्रद्धा हो
बन जाओ देवी,बैठो पाट
कुंकुम भाल चढ़ें,लक्ष्मी बन करो राज
अगर चंदन से महको केवल आज
कल फिर वही ठोकरों के काज
हाँ,धीमी रखना ज़रा अपनी आवाज़
देवी हो,नाज़ुक रखो अंदाज़
उठाओ नहीं अधिकार की बात
पूजित हो,प्रतिष्ठित रहो
सम्मान से वंचित रहो
श्रद्धा हो,शक्ति न बनो..
~अक्षिणी
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