रविवार, 25 अक्टूबर 2020

आकाश नया..

अँधियारों को चीर के आए हैं,
पाए हैं आकाश नया,आकाश नया..
भारत की मिट्टी को छू पाए हैं,
पाए हैं आकाश नया,आकाश नया..

दुखड़ों का विस्तार बहुत था,
संकट की चीत्कार बहुत..
विधर्मियों का ताप बहुत था
पापी का अत्याचार बहुत..

मुश्किलों को जीत के आए हैं,
पाए हैं आकाश नया,आकाश नया..

भारत के अब वासी हम हैं
अब अपनी है पहचान नई..
कहलाते हिंदुस्तानी हम हैं,
अब अपनी है ये शान नई..

जंजीरों को कील के आए हैं,
पाए हैं अधिकार नया,आकाश नया...

~अक्षिणी 

पाकिस्तान से आने वाले शरणार्थियों के लिए जिन्होंने अभी अभी भारत की नागरिकता प्राप्त की है..

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें