बुधवार, 28 अक्टूबर 2020

सप्तपदी..

बिंदु पथ हैं अपने वर्तुल सारे,
चलते निस दिन बिना किनारे..
आदि से अंत हो अंत से आदि,
फेरे सप्तपदी के सभी कुँवारे..

~अक्षिणी 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें