गुरुवार, 29 अक्टूबर 2020

हद-ए-मामूल..

यूँ हमसे न पूछ ज़िंदगी का तफसरा,
हद-ए-मामूल थी,जाने कब गुज़र गई..


~अक्षिणी 

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