सोमवार, 30 दिसंबर 2019

बैरी कोहरा..

बैरी कोहरा धूप छुपाए, छुड़वाए कौन?
धरती काँपे धुुआँ उठाए,  बहलाए कौन?

सूरज मांगे आज फिरौती, चुकाए कौन?
एक अलाव पे आस टिके, जलाए कौन?

पारा हमसे रूठा बैठा, मनाए कौन?
निस दिन देखो गिरता जाए, उठाए कौन?

बीते बरस को ठेस लगी, समझाए कौन?

नये बरस की आस जगे, रुक पाए कौन?

अक्षिणी 

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