भैया कमाल हैं और बहना धमाल हैं
एक से बढ़कर एक दोनों की चाल है
इनसे भी आगे इनके सलाहकार हैं
सोचते हैं जनता तो खाली दिमाग है
रोज उठा लाते हैं स्कीम नई ये लोग
इन के बस की नहीं मानते नहीं ये लोग
दौड़ा देते हैं कभी मंदिर कभी मस्जिद
धरने कभी अनशन पे बैठा देते हैं ये लोग
भैया कमाल हैं और बहना धमाल हैं
धोती फाड़ कर कर देते रुमाल हैं
इनसे भी आगे इनके सलाहकार हैं
बँधुआ हैं या दिहाड़ी के ताबेदार हैं
वो सोना बनवाते हैं,ये गला दबवाती हैं
वो गायब हो जाते हैं ये घायल हो जाती हैं
आतुर हैं वो सत्ता पाने को,इनको देखो
भागते दौड़ते उलट बांसी खा जाती हैं..
भैया कमाल हैं और बहना धमाल हैं
हर रोज उठाते एक नया बवाल हैं
इनसे भी आगे इनके सलाहकार हैं
खानदानी नौकर हैं पुश्तैनी गुलाम हैं
गणित बहुत लगाते हैं पर कुछ ना पाते हैं
निन्यानवे के फेर में पिचत्तिस हुए जाते हैं
जहाँ जाते बस गरियाए लतियाए जाते हैं
अगले दिन फिर लौट के ये आ जाते हैं
भैया कमाल हैं और बहना धमाल हैं
उलटी जो चाल है बिगड़े से हाल हैं
इनसे भी आगे इनके सलाहकार हैं
जनता सब समझे कैम्ब्रिज के लाल हैं..
अक्षिणी
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