इतिहास गवाह है
जब भी ये पार्टी
सत्ता से विलग हुई है
देश में आग लगी है
संविधान जला है
रेलें फूँकी गई हैं
पटरियाँ उखाड़ी गई हैं
शिक्षा संस्थानों में हड़तालें हुई हैं
मजहबी दंगे हुए हैं
एक बार फिर
सत्ता का वियोग असहनीय है
असहिष्णुता चरम पर है
एक बार फिर
काँग्रेस सत्ता से बाहर है..
अक्षिणी
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