रविवार, 15 दिसंबर 2019

वो..

जो महकती है मेरे आस पास कहीं
महका जाती है मेरे अहसास कई
यूँ ही फुरकत में याद आती है कभी
अँगड़ाई लिए जाते हैं जज़्बात कई

जो ना मिल पाए तो बेचैन किए जाती है
वो हरजाई मेरा चैन लिए जाती है
कितना समझाता हूँ खुद को मगर 
हर बार मुझे हलकान किए जाती है

जब भी दिखती है सरेआम कहीं 
वहीं थम जाते हैं मेरे अल्फाज़ कई
यूँ मेरी रूह को वो जगा जाती है 
दिखा जाती है सुबहों को ख्वाब कई

जब भी आती है वो याद मुझे
कर जाती है वो खुशओआबाद मुझे
छन के आती है जो वो पास मेरे
दे जाती है नई जान मेरी चाय मुझे

चायदिवस की शुभकामनाएं 
#InternationalTeaDay

अक्षिणी 

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