शनिवार, 31 जुलाई 2021

बरसन लागी..

छलकन लागी नेह गगरिया
बरसन लागी मेह गठरिया..
तकत तकत अब नैन थकत हैं
गरजन लागी देह बिजुरिया..

घुमड़ रहे घन घनन घनन घन
बूँदों की छम छनन छनन छन
बहके पवन संग सनन सनन सन 
बावरा मन झन झनन झनन झन

थिरकन लागी मोह मुरलिया
निरखन लागी पी की डगरिया
परस-परस जल दाह लगत है
पी के दरस को तरसे गुजरिया..

~अक्षिणी



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