वो अपनी गली में आना तेरा
और इठला के वो इतराना तेरा
याद मुझे अब आता है ज़िंदगी
हौले से वो शरमाना तेरा
भूले से कहीं मिल जाना तेरा
नुक्कड़ पे वो टकराना तेरा
याद मुझे अब आता है ज़िंदगी..
वो धानी चुनर लहराना तेरा
आज मुझे मिल जाना जरा
बातों से मुझे बहलाना जरा
फिर आज मुझे भरमाता है ज़िंदगी
यूँ शाम ढले घर जाना तेरा..
~अक्षिणी
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