रविवार, 15 अगस्त 2021

ओढ़े हुए अहम..

बोये हुए आँसू 
ओढ़े हुए अहम
और 
ढोया हुआ क्रोध
क्षोभ ही निपजें..
भस्म कर दें हमें 
आग ही उपजें..
हम से मिलो तो
छोड़ आया करो..
थोपे हुए लहजे
उखड़े हुए हत्थे
चुभते हुए हिज्जे
आप ही किरचें 
भरने न दें कभी
घाव ही खुरचें
आइने को अपने 
न झुठलाया करो..
हम से मिलो तो
छोड़ आया करो..

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