शनिवार, 25 जुलाई 2020

आदमी ही तो है..

आदमी ही तो है..
मिलता तो बहुत है ज़िंदगी में मगर ,
गिनता उसी को है जो मिलता नहीं..

आदमी ही तो है..
चाहता तो बहुत है ज़िंदगी में मगर
मिलता है जो यूँ ही उसे साधता नहीं..

आदमी ही तो है..
खोजता तो बहुत है ज़िंदगी में मगर
ढूँढता उसी को है जो जानता नहीं..

आदमी ही तो है..
जानता तो बहुत है ज़िंदगी में मगर
जानता जिसे है उसे पहचानता नहीं..

आदमी ही तो है..
सुनता तो बहुत है ज़िंदगी में मगर
करता मन की ही है जिसे गुनता नहीं..

आदमी ही तो है..
मानता तो बहुत है ज़िंदगी में मगर
ठानता उसी की है जो मानता नहीं..

अक्षिणी 

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