शनिवार, 18 जुलाई 2020

किस्सा भेड़ों का..

1965 की बात है..तब भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री थे.. 
चीन की तरफ से घुसपैठ के प्रयास तो होते ही रहते हैं और उल्टा चोर कोतवाल डाँटे की तर्ज़ पर फिर वो अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत पर अनर्गल आरोप लगाता है..
इस बार भी ऐसा ही हुआ..
भारत सरकार ने इस आरोप पत्र का लिखित में उत्तर दिया..
तब वाजपेयी जी 42 वर्ष के थे..उन्होंने चीन के इस ओछे आरोप का ऐसा जवाब दिया जिसकी चीन ने कल्पना भी नहीं की थी..
उन्होंने 800 भेड़ों की व्यवस्था की और उन्हें ले कर दिल्ली स्थित चीनी दूतावास के बाहर खड़े हो गए..
सभी भेड़ों के गले में तख्ती लटकी थी..
"मुझे खा लो पर दुनिया को छोड़ दो.."
 इस तरह भेड़ों के साथ चीनी दूतावास में प्रवेश करने के प्रयास से चीन आगबबूला हो गया और भारत सरकार से माफी मांगने को कहा।
पत्र में चीन ने लिखा कि ऐसा प्रदर्शन बेइज्जती है और भारत सरकार की जानकारी के बिना इसका आयोजन असंभव है, इसके लिए माफी मांगी जाए।
भारत सरकार ने यह तो माना कि दिल्ली के कुछ लोगों ने भेड़ें लेकर दूतावास के समक्ष प्रदर्शन किया किंतु इसका भारत सरकार से कोई सरोकार नहीं है।

असल में चीन ने भारत पर यह आरोप लगाया था कि उसने चार चीनी नागरिकों का अपहरण कर लिया है।वे तिब्बती लोग थे जो भारत में शरणार्थी की तरह रहने आए थे जिनमें दो भेड़ें चराने वाली औरतें भी थीं।

तो ज़िक्र होता है जब चिंदीचोर चीनियों का
तो वाजपेयी जी के इस अनोखे प्रदर्शन की चर्चा होती है😂

अक्षिणी 

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