शनिवार, 25 जुलाई 2020

कल कोई..

कल कोई मुझसे मिला
राह के चाह में भटका हुआ
चाह की आह में अटका हुआ

कल कोई मुझसे मिला..
घाट के घुमाव में उलझा हुआ
धार के प्रवाह में दुबका हुआ

कल कोई मुझसे मिला..
राख के ढेर सा बुझता हुआ
आँच के फेर सा सुलगा हुआ

हाँ कल कोई मुझसा मिला..
काल के प्रहार से हारा हुआ
आस के विश्वास का मारा हुआ

हाँ कल कोई मुझसा मिला..

इक हाथ बढ़ा कर टोह लिया
बस मान बढ़ा कर मोह लिया..


अक्षिणी 

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