हाँ तुम शिखर तक जाना,
शीर्ष पर ध्वज फहराना..
नभ का आँचल छू जाना,
फिर लौट नींव को आना..
चट्टानों में राह बनाना,
पर्वत से तुम ऊँचे जाना..
सूरज से भी आँख मिलाना,
फिर लौट नीँव को आना..
तुफानों में शीश उठाना,
सपने सारे सच कर जाना..
धरती माटी नहीं भुलाना,
लौट के फिर तुम नींव को आना..
अक्षिणी
शीर्ष पर ध्वज फहराना..
नभ का आँचल छू जाना,
फिर लौट नींव को आना..
चट्टानों में राह बनाना,
पर्वत से तुम ऊँचे जाना..
सूरज से भी आँख मिलाना,
फिर लौट नीँव को आना..
तुफानों में शीश उठाना,
सपने सारे सच कर जाना..
धरती माटी नहीं भुलाना,
लौट के फिर तुम नींव को आना..
अक्षिणी
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