हम आज भी आहें भरते हैं,
उस चाँद की चाहें करते हैं..
परियों के सपन में जीते हैं,
तारों की चाहत में मरते हैं..
हाँ आज भी मेंढक
राजकुँवर बन जाते हैं..
हाँ आज भी हमको,
जादुई सपने भाते हैं..
अक्षिणी
उस चाँद की चाहें करते हैं..
परियों के सपन में जीते हैं,
तारों की चाहत में मरते हैं..
हाँ आज भी मेंढक
राजकुँवर बन जाते हैं..
हाँ आज भी हमको,
जादुई सपने भाते हैं..
अक्षिणी
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