शुक्रवार, 14 जून 2019

वाह री ममता..

वाह री ममता बिन ममता की,
जरा न सुनती क्यूँ जनता की..

डाक्टर से ये खार है खाए,
गुंडों को ये खूब बचाए..

भारत इसको जरा न भाए,
रोहिंग्यों को गले लगाए..

ये ना बोले बोली समता की,
इसे लहर लगी बस सत्ता की..

लगता है अब नाश है आया,
बुद्धि विवेक से हाथ छुड़ाया..

अक्षिणी

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