मंगलवार, 30 अक्तूबर 2018

हाय री मेरी आज की नारी..

हाय री मेरी आज की नारी
तेरी मुश्किल है कितनी भारी
आधी रात को एक अदद
सिगरेट ढूँढती ये बेचारी
ऊपर नीचे इधर ऊधर
देखो फिरती मारी मारी
यहाँ वहाँ हाथ फैलाए
देती जाती अंग्रेजी गाली
अहो दुर्भाग्य!
बस एक कश की खातिर
अधनंगी होने की लाचारी
लो फिर मी टू मी टू
करने की है तैयारी..

अक्षिणी

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