कितने रिश्ते हैं जिनकी बाकी अभी किश्तें हैं..
जाने कितने कतरे हैं कि , आँखों में आँसू के खतरे हैं ..
जाने कितनी कसमें हैं झूठी जिनकी रस्में हैं..
अक्षिणी
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