शनिवार, 19 फ़रवरी 2022

कि तुम कभी पुकार लो..

उसी डगर ठहर गए,
कि तुम कभी पुकार लो,
पुकार कर दुलार लो,
दुलार कर सँवार दो..

वहीं कदम ठहर गए,
कि फिर वही दयार हो,
राहत-ए-दयार जो के चाह दे,
चाह कर सँवार दो..

वहीं नज़र बिछा दिए,
कि तेरी राह में गुज़ार हो,
चाहत-ए-गुज़ार का करार हो, 
इकरार कर करार दो..

यूँ मुड़ के मोड़ मुड़ गए,
कि फिर वही बहार हो,
बहार जो कि प्यार हो,
या प्यार की फुहार दो.. 

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