सोच को लगा के पंख तू,
देख खूब आसमां के रंग तू..
बादल-बादल उड़ते-चलते,
रख अपनी माटी को संग तू..
सोच को लगा के पंख तू,
थाप जीविका की चंग तू..
सत्कर्म-धर्म हैं हाथ अपने,
फूँक ज़िन्दगी का शंख तू..
सोच को लगा के पंख तू
देख इस दुनिया के रंग तू..
वक्त को ले चल साथ अपने,
जीत इस जमाने से जंग तू..
~ अक्षिणी..
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