शनिवार, 19 दिसंबर 2020

अक्सर ख़ुद को ..

दुनिया के रंग में रंग नहीं पाते हैं,
अक्सर ख़ुद को अकेला ही पाते हैं..
अपनी किसी तरंग में जिए जाते हैं,
अक्सर ख़ुद को अकेला ही पाते हैं..
शहद झूठ का लपेट नहीं पाते है,
अक्सर ख़ुद को अकेला ही पाते हैं..
भीतर-बाहर जुदा हो नहीं पाते हैं,
अक्सर ख़ुद को अकेला ही पाते हैं..
दोहरा चरित्र कभी जी नहीं पाते हैं,
अक्सर ख़ुद को अकेला ही पाते हैं..

~अक्षिणी 

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