शनिवार, 26 दिसंबर 2020

ये कशमकश क्यूँ..

तू ही बता ए ज़िंदगी,बेइंतिहा तू बेरहम
ये कशमकश क्यूँ 
चैन-ओ-सुकूं, ओ मुस्कुराहटों से बेसबब
ये रंजिश क्यूँ 
तू ज़िंदगी ना मेहरबां, ना खुशनुमा,
ना ख़्वाब सी तू
तुझे जीने की मुसलसल ये जद्दोजहद 
हरगिज़ क्यूँ..

~अक्षिणी 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें