जो स्पर्श ना करे
जो प्रश्न ना करे
तो कविता क्या
जो द्वंद्व ना कहे
जो स्वछन्द ना बहे
तो कविता कैसी
जो उद्विग्न ना करे
जो उल्लास ना भरे
तो कविता क्यों
जो आस ना भरे
जो त्रास ना हरे
तो कविता कहाँ
जो श्वास ना ले
जो विश्वास ना दे
तो कविता कौन..
जो दृश्य ना रचे
अदृश्य ना सृजे
तो कविता कैसे..
जो सत्य ना कहे
जो स्वप्न ना गहे
तो कविता क्यों
जो प्रसंग ना गुने
जो निसर्ग ना बुने
तो कविता क्यूँकर
~अक्षिणी
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