भीगी अश्कों की रवानी है, उतर जाए तो चलें..
रोज सीते हैं दिल के जख़्मों को,
नश्तर-ए-वक्त से चाक कदमों को,
रिसती यादों की निशानी है,बिसर जाए तो चलें ..
कौन डरता है इन हवाओं से,
कौन जलता है दिल के दागों से,
दहकी कोई ख़ाक पुरानी है, सिमर जाए तो चलें ..
कितने जन्मों से चली आई है,
कितने लम्हों से छली आई है,
वही करमों की कहानी है, सिमट जाए तो चलें ..
कौन रुकता है सख़्त लफ्ज़ों से
कौन झुकता है तल्ख लहज़ों से
जज़्ब जज़्बों की जुबानी है, समझ आए तो चलें..
कौन समझा है तेरे जलवों को,
कौन सुनता है मेरे शिकवों को,
कोई अरदास पुरानी है जो बिसर जाए तो चल दें..
बीती बरसात का पानी है ठहर जाए तो चल दें..
भीगी आँखों की रवानी है उतर जाए तो चल दें..
अक्षिणी
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