पुरुष का सौंदर्य
पुरुषार्थ हुआ करता है
पौरुष को जो
चरितार्थ किया करता है
वेदव्यासवाल्मिक फिर
महाकाव्य रचा करते है
नख से शिख सब
विस्तार लिखा करते हैं
कोमल मन तज जो
संग्राम लड़ा करते हैं
पिता-पुत्र-प्रिय-भ्राता
बन प्यार किया करते हैं
उर में असीमित जो
उद्गार लिए जिया करते हैं..
अक्षिणी
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