मंगलवार, 21 मई 2019

तेरी खातिर..

क्षमा कर देना हमें..
 नहीं छोड़ पाएंगे
सारी दुनिया तेरी खातिर.
नहीँ भूल पाऐंगे
ये गलियां तेरी खातिर.
 नहीं भूल पाएंगे
 दुनिया के गम तेरी खातिर.
माँ के हाथ की रोटी
तेरी खातिर.
 और वो बापू की झिड़की
तेरी खातिर.
 वो बहना के बोल.
 टूटी दुछत्ती की खिड़की
तेरी खातिर.
माफ कर देना हमें.
जुटाने है
चंद टुकड़े अभी..
 बनानी है चार दीवारें अभी..
छोटे की किताबें बाकी हैं..
छोटी की जुराबें भी फटी हैं..
फिर कुछ माँ के भी सपने हैं..
जो मेरे भी अपने हैं..
 इसलिए मेरी दोस्त ..
 माफ कर देना मुझे..
भूल जाना मुझे..

व्यर्थ है भागना ..
परछाइयों की ओर..
 नियमों को तोड़ अकेले
किसी कोने में छुप
 ख़ुद के लिए
चुपचाप हाशियों पे
जीने की खातिर
इसलिए
लौट चलते हैं
अपनी अपनी दुनिया में..
और जीते हैं सब की खातिर..

अक्षिणी

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