गुरुवार, 9 मई 2019

दो कौड़ी

दो कौड़़ी की औकात है यारों,
वही गिनते हैंं वही गुनते हैं..
मोतियों के ढेर से हर बार,
वही ईमान की दो कोड़ियाँ चुनते हैं..

अक्षिणी

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें